टीबी का टीका त्वचा या मांसपेशियों में लगाने के बजाए नसों में लगाना ज्यादा कारगर

टीबी का टीका त्वचा या मांसपेशियों में लगाने के बजाए नसों में लगाना ज्यादा कारगर

सेहतराग टीम

एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है कि बीमारियों के इलाज में सुई देने के सही तरीके से किसी दवा या टीके की क्षमता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ सकती है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि एक सदी से भी ज्यादा पुराने टीबी के टीके का कहीं बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। उनका मानना है कि टीके को त्वचा या मांसपेशियों में लगाने के बजाय नसों में लगाना ज्यादा कारगर है।

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मरीज को जल्द मिलेगी राहत- अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्टियस डिजीज के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। उनका कहना है कि तपेदिक (टीबी) जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में टीकाकरण के लिए सुई को सीधे मांस में देने के पारंपरिक तरीके के मुकाबले सुई को नस में देना ज्यादा प्रभावी है। इससे मरीज को जल्दी राहत मिलती है। साथ ही दवाई की बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता जोआने फ्लिन ने कहा, जब हमने जानवरों को पारंपरिक तरीके से सुई देने की तुलना नसों में सुई देने के प्रभावों से की, तो उसके नतीजे चौंकाने वाले आए। हमने पाया कि नस में सुई देने से बैक्टीरिया में एक लाख गुना कमी आई। साथ ही 10 में से नौ जानवरों के फेफड़ों में सूजन होने की शिकायत भी नहीं मिली। शोधकर्ताओं ने कहा, नसों में सुई देने से दवाई बहुत जल्दी रक्त से होते हुए फेफड़ों, लिम्फ नोड्स और प्लीहा तक पहुंच जाती है और पूरा असर दिखाती है।

टीबी से हर साल दुनियाभर में 17 लाख लोगों की मौत हो जाती है, अधिकतर मौतें गरीब देशों में होती है। फिलहाल टीबी से बचने के लिए बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया जाता है, लेकिन इससे मिलने वाला प्रतिरक्षा तंत्र कुछ सालों में अपना असर खो देता है।

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18 महीनों में इंसानों पर किया जाएगा प्रयोग-

इस प्रयोग के बाद शोधकर्ता ने कहा कि अगर टीका देने के तरीके को बदला जा सके तो इंसानों में टीबी पर काबू पाने में ज्यादा सफलता मिल सकती है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बारे में जानवरों में अतिरिक्त सुरक्षा अनुसंधान चल रहा है। सेडेर ने उम्मीद जताई है कि इंसानों में इस तरह के प्रयोग का पहला चरण शुरू करने में 18 महीने लगेंगे। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज भारत में हैं जिनकी तादाद फिलहाल बीस लाख 70 हजार है।

(साभार- हिन्दुस्तान)

 

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